पारद शिवलिंग कैसा होता है Things To Know Before You Buy

भारतीय नौसेना ने मुंबई तट पर घायल चीनी नाविक को बचाया, जिससे चीन ने भारत का आभार व्यक्त किया। यह घटना एलएसी पर तनाव के बावजूद हुई, जहां भारतीय और चीनी सेनाएं तैनात हैं। चीन ने भारत के बचाव प्रयासों की सराहना की और कहा कि नाविक की हालत में सुधार हो रहा है।

इस शिवलिंग का घर में रखना अत्यधिक सुबह होता है। परन्तु इसे सही दिशा में रखना चाहिए। पारद शिवलिंग के रखने के महत्वपूर्ण नियम होते हैं।

शिव जी भांग,बेलपत्र और धतूरा अत्यधिक प्रिय है इसलिए शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए।

आपण ह्या लेखात पारद शिवलिंग बद्दल जाणून घेऊया.

समुद्र मंथन के दौरान उत्पन्न विष को पीकर भगवान शिव ने संसार को इसके विनाश से सुरक्षित रखा था। विष पीने से उनका कंठ नीला हो गया था, इसलिए उन्हें नीलकंठ कहा जाता है। विष की पीड़ा से उत्पन्न दाह को शांत करने के लिए देवताओं और ऋषियों ने शिवलिंग पर जल चढ़ाना शुरू किया था तब से यह परंपरा आज भी जारी है। शिवलिंग को भगवान शिव का प्रतीक मानकर पूजा जाता है और इसकी पूजा विधि-विधान के साथ की जाती है।

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असली पारद शिवलिंग की पहचान करना सबसे मुश्किल काम है यह एक ऐसा  प्रश्न है जो सबसे ज्यादा  पूछा जाता है। अगर हम इधर उधर की बात न करे तो असली पारद शिवलिंग को पहचान पाना बहुत ही मुश्किल है।  क्यों कि असली और नकली दिखने में एक जैसे होते है इनमे कोई फर्क नहीं होता।  असली या नकली पारद शिवलिंग  बेचना दुकानदार के ऊपर निर्भर करता है।  लेकिन अगर आप फिर भी  जांचना चाहे तो आप उसकी फिनिशिंग से देख सकते है कि वो असली है या नकली। एक बात ध्यान रखियेगा  कि असली और नकली दोनों ही तरह के पारद शिवलिंग हाथ पर घिसने से कालिख  छोड़ते है। और ये बात बिलकुल झूठ है कि यह पानी से भीगने के बाद धूप में रख देने से शुद्ध सोने की तरह चमकने लगता है ।  पारा कभी भी सोने की तरह नहीं लगता है।  ये बस एक ट्रिक है।  

कैसे पहचान सकते हैं – जब पारद शिवलिंग को थोड़ी देर जल में रखकर उसे धूप में रखते हैं तो पारद शिवलिंग पर शुद्ध स्वर्ण जैसी आभा आ जाती है। इसके अलावा अगर पारद शिवलिंग को हथेली पर घिसा जाए तो वह काली लकीर नहीं होती है। इस शिवलिंग से हथेली पर काली लकीर नहीं बनती है।

इस शिवलिंग को सही दिशा में रखना अत्यधिक आवश्यक होता है।

शिवलिंग (अर्थात प्रतीक, निशान या चिह्न) इसे लिंगा, पार्थिव-लिंग, लिंगम् या शिवा लिंगम् भी कहते हैं। यह हिंदू भगवान शिव का प्रतिमाविहीन चिह्न है। यह प्राकृतिक रूप से स्वयम्भू व अधिकतर शिव मंदिरों में स्थापित होता है। शिवलिंग को सामान्यतः गोलाकार मूर्तितल पर खड़ा दिखाया जाता है, जिसे पीठम् या पीठ कहते हैं।

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पारद शिवलिंग की दिशा और अपनी अन्य समस्याओं का समाधान जानने के लिए इंस्टाएस्ट्रो के ज्योतिषी से बात कर सकते हैं। यह आपकी परेशानियों का सटीक समाधान देंगे।

संसार में वो सारे मानव श्रेष्ठ हैं जो पारद शिवलिंग की पूजा करते हैं और जो इस पूजा के फलस्वरूप सारे भौतिक सुख प्राप्त कर मोक्ष को प्राप्त करते हैं। 

काही जण शिवपिंड ठेवतात आणि १२ तास बाहेर असतात पण घरातल्या पिंडीवर साधे पाणी सुद्धा अर्पण करण्यासाठी त्यांना वेळ मिळत नाही. 

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